किसी और दिन तुम देना मुझे धमकी चाँद रौशन हुआ तुम खोलो तो खिड़की। किसी और दिन तुम देना मुझे धमकी चाँद रौशन हुआ तुम खोलो तो खिड़की।
बस तुम यूं ही आ जाना...। बस तुम यूं ही आ जाना...।
आखिर क्यों ? आखिर क्यों ?
आखिर कौन हो तुम ? आखिर कौन हो तुम ?
मैं तू बन गई ! मैं तू बन गई !
तुम फिर से मुझको जीत रही हो न ? तुम फिर से मुझको जीत रही हो न ?